2 February, 2025

इन 5 फैसलों की वजह से देश हमेशा करेगा मनमोहन सिंह को याद

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भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार 26 दिसंबर की रात को दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। वह साल 2004 से 2014 यानी 10 साल तक प्रधानमंत्री रहे रहे। पीएम रहते हुए मनमोहन सिंह ने आर्थिक उदारीकरण की नीतियों को लागू किया, जिससे विदेशी निवेश को बढ़ावा मिला और भारत को विश्व बाजार से जोड़ा जा सका। आइये जानते हैं डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा लिए गए 5 बड़े फैसले।

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Scheme

भारत सरकार ने 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NAREGA) लागू किया गया। बाद में इसका नाम बदलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) किया गया था। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार प्रदान करना है, ताकि गरीबी उन्मूलन और आर्थिक सुधार हो सके। इसके तहत ग्रामीण लोगों को साल में 100 दिन का रोजगार मिलता है।

सूचना का अधिकार अधिनियम (Right To Information Act)

2005 में मनमोहन सरकार ने एक एक्ट पारित किया था, जिसके बाद नागरिकों को सार्वजनिक प्राधिकरणों से जानकारी मांगने का अधिकार मिल गया। इस एक्ट को सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) नाम दिया गया। इस एक्ट से सरकार में बैठे लोगों के काम में पारदर्शिता आई और उनकी जवाबदेही भी तय हो सकी।

मनमोहन सिंह ने दिया आधार की सुविधा

बतौर पीएम रहते हुए डॉ. मनमोहन सिंह ने आधार की शुरुआत की थी। इसे बनाने के लिए 2009 में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) का गठन हुआ था। इसका उद्देश्य भारत के नागरिकों को एक ऐसे पहचान प्रमाण पत्र की सुविधा देना था, जिसे आसानी से हर जगह इस्तेमाल किया जा सके।

प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (Direct Benefit Transfer)

डॉ. मनमोहन सिंह ने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (Direct Benefit Transfer) सिस्टम को लागू किया था। इस योजना का कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों को उनके लिंक किए गए बैंक खातों के माध्यम से सीधे सब्सिडी हस्तांतरित करने के लिए एक प्रणाली स्थापित करना। ताकि सरकारी लाभ का पैसे सीधे लोगों के खाते में भेजा जा सके।  

भारत-अमेरिका परमाणु सौदा

भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौता डॉ. मनमोहन की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक हैं। इस समझौते के बाद भारत को परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह (NSG) से छूट मिली थी। इसके अलावा देश को अपने नागरिक और सैन्य परमाणु कार्यक्रमों को अलग करने की अनुमति मिली। इस समझौते के बाद ही भारत को उन देशों से यूरेनियम आयात करने की अनुमति मिली, जिनके पास यह तकनीक है। 

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