बिहार में मुजफ्फरपुर की सृजनी कढ़ाई को GI टैग दिलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली निर्मला देवी को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। निर्मला देवी ने सृजनी कला को न केवल पुनर्जीवित किया, बल्कि उसे विदेशी बाजार में भी लोकप्रिय बनाया। उनके इस प्रयास के लिए केंद्र सरकार ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर उन्हे पद्मश्री अवॉर्ड देने का ऐलान किया। Bihar – Padmashree award to Nirmala Devi of Muzaffarpur for Sujani Embroidery
76 वर्षीय निर्मला देवी ने किया सृजनी कला को पुनर्जीवित
मुजफ्फरनगर की सृजनी कढ़ाई गाय घाट ब्लॉक के भूसरा के 15 गांव और बिहार के मधुबनी गांव में महिलाओं द्वारा बनाई जाती है। पुराने कपड़ों के टुकड़ों को जोड़ कर सरल टांकों से आकृतियाँ बनाई जाती हैं। बदलते वक्त के साथ इसका स्वरूप बदला और अब इसे सिल्क जैसे महंगे कपड़े पर भी उकेरा जाता है। सृजनी कला का GI टैग 21 सितंबर 2006 को स्वीकृत किया गया था। 18 शताब्दी से चली आ रही इस कढ़ाई में महिलाएं अपनी भावनाओं को प्रदर्शित करने वाली आकृतियाँ कपड़े पर उकेरती हैं। (Bihar News)
कपड़े पर धागों से उकेरी जाती हैं जीवन की शक्तियों को दर्शाने वाली आकृतियां
रजाई पर उकेरी गई आकृतियां जीवन देने वाली शक्तियों जैसे प्रजनन, गृहस्थी, दिनचर्या, सूर्य और बादल, बुराइयों से सुरक्षा करने वाले पौराणिक प्राणियों का प्रतीक होती हैं जिनसे देवताओं का आशीर्वाद बरसता है। धीरे धीरे खत्म होती ये कला फिर से जीवित हुई जब 1988 में निर्मला देवी ने महिला विकास सहयोग समिति (MVSS) की शुरुवात की। यह नॉन-प्रॉफ़िट संस्था ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हे आजीविका का स्त्रोत देने के लिए उनके साथ काम करती है। वर्तमान समय में भुसरा गांव की 600 महिलाएं इस कला का अभ्यास करती हैं। शादी के कुछ ही समय बाद नन्ही बेटी के साथ मायके लौट आने पर सवालों की बौछार करने वाला भुसरा गाँव आज अपनी इस बेटी पर गौरवान्वित हो रहा है।