कहीं यात्रा के लिए निकलते वक्त न जाने कितनी तैयारियां की जाती हैं! कपड़े चुने जाते हैं, कब क्या पहनना है, कहाँ ठहरना है जैसी बातों से माहौल बनता है। प्रयागराज महाकुंभ के लिए निकलते वक्त श्रद्धालुओं ने भी बड़े उत्साह से अपने अपने बैग पैक किए होंगे ,पर वो ये नहीं जानते थे कि ये उनकी आखिरी यात्रा होने वाली है। महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ में बैग्स के साथ साथ न जाने कितनों के सपने,उत्साह और इच्छाएं, सब कुचलकर दफन हो गईं। कुछ लोग हमेशा के लिए अलविदा कर गए, तो कुछ घायल हो गए। कुछ जान बचाकर भागते वक्त अपने कपड़ों से भरे बैग्स मेला स्थल पर ही छोड़ गए। बचे हुए कुछ लोग इन बैग्स के जरिए अपने अपनों की पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं।
महाकुंभ भगदड़ के बाद शुरू हुआ आरोपों का सियासी खेल
प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ में 30 लोगों की मौत और 60 के घायल होने का आंकड़ा सरकार द्वारा दिया गया, लेकिन इन आंकड़ों पर सरकार के खिलाफ बयानबाजी का दौर शुरू हो गया। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर मृतकों की सही संख्या छिपाने का आरोप लगते हुए बयान दे डाला कि योगी सरकार मृतकों और घायलों को दी जाने वाली राशि बचाने के लिए गलत सूचना दे रही है। वहीं सपा सांसद रामगोपाल यादव ने धमकी दी है कि वो इस मुद्दे को संसद में उठायेंगे क्यूंकी योगी सरकार झूठ बोल रही है। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह से भी इस मुद्दे में दखल देने की दरख्वास्त की।
कुम्भ मेलों मे हुई भगदड़ की बड़ी घटनाएं
प्रयागराज के संगम तट पर हुई बड़ी भगदड़ में कई लोग मारे गए, और सैकड़ों घायल हुए जिससे योगी सरकार की बड़ी किरकिरी हुई और उनकी व्यवस्था पर सवाल उठाए गए। इस से पहले भी कुम्भ मेलों मे कई बार ऐसे हादसे हुए हैं। प्रयागराज मे 1954 मे 3 फरवरी को मौनी अमावस्या को हुई भगदड़ में 800 लोग मारे गए। उज्जैन में 1992 में सिंहस्थ कुम्भ के दौरान मची भगदड़ में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हुई। नासिक कुम्भ मेल 2003 मे 39 लोग मारे गए। हरिद्वार 2010 , 14 अप्रैल के दिन हर की पैड़ी में भगदड़ के दौरान 7 की मौत हुई। प्रयागराज 2013 कुम्भ में 10 फरवरी ,मौनी अमावस्या के दिन रेल्वे स्टेशन पर मची भगदड़ मे 36 जाने गईं।