2 February, 2025

प्रयागराज मे मुस्लिम भाइयों ने खोले दिलों और मस्जिदों के दरवाज़े,महाकुम्भ श्रद्धालुओं को दी छत और रोटी

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बहुचर्चित महाकुंभ आयोजन से बाहर रखने के तमाम हथकंडों के बावजूद प्रयागराज के स्थानीय मुस्लिम संकट में फंसे श्रद्धालुओं की मदद करने के लिए अपने घरों से निकल कर सड़कों पर उतर आए और भोजन, पानी, कपड़े ,दवाइयों और आश्रय का इंतजाम करने में जुट गए। मुस्लिम भाई महाकुंभ श्रद्धालुओं के लिए अपने दिलों, घरों और मस्जिदों तक के दरवाजे खोल रहे हैं।

कुम्भ के आयोजन स्थल से रखा गया था दूर ,फिर भी भाईचारे की मिसाल कायम की

महाकुंभ के आयोजन स्थल से इस बार मुसलमानों का आर्थिक बहिष्कार कर उन्हे दूर रखा गया था, लेकिन 29 जनवरी की मौनी अमावस्या के दिन मची भगदड़ के हादसे के बाद मुस्लिम भाई बहिष्कार का दर्द भुलाकर भीड़ में फंसे श्रद्धालुओं की मदद के लिए खुलकर आगे आए और उनके रहने, खाने, पीने से लेकर घायलों की तीमारदारी करने तक मे जुट गए। प्रयागराज के हर घर के दरवाजे मुसीबतज़दा लोगों के लिए खुल गए। मुस्लिम समुदाय के मुहल्ले नखास कोहना, रोशन बाग, हिम्मतगंज, रानीमण्डी और शाहगंज के लोगों ने श्रद्धालुओं को अपने घरों में ठहराया। मोहल्ले में रात भर भंडारा चलाया और हलवा- पूरी बांटी।

सियासत ज़मीनों का बंटवारा कर सकती है, दिलों का नहीं

28-29 जनवरी की रात महाकुंभ में हुई भगदड़ में कइयों ने अपनी जान गंवां दी और कई घायल हुए। न जाने कितने अपने परिवारों से बिछड़ गए। ये वो व्यक्त था जब प्रशासन की सारी व्यवस्थाएं ध्वस्त हो गईं। ऐसे में 10 से ज्यादा इलाकों में मुस्लिमों ने बड़ा दिल दिखाया और 25 से 26 हजार श्रद्धालुओं के लिए घरों और मस्जिदों के दरवाजे खोल दिए गए। इरशाद ने कहा,” वे प्रयागराज के मेहमान थे, हमने उनकी पूरी देखभाल करने की कोशिश की।” मसूद के अनुसार,”हिन्दू भी अपना धर्म-कर्म कर रहे थे, हमने भी इंसानियत का अपना धर्म निभाया।” मुसीबत की घड़ी में प्रयागराज के मुस्लिम भाइयों ने हिंदुस्तान की गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल कायम करते हुए बता दिया कि सियासतें ज़मीनों का बंटवारा कर सकती हैं, दिलों का नहीं!

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